लखनऊ। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने आठ वर्षों के बिजली दरों में वृद्धि का यह आंकड़ा जारी कर पावर कारपोरेशन की आंखें खोलने की कोशिश की है। इन आंकड़ों के आधार पर पावर कारपोरेशन के प्रस्तावित स्लैब पर सवाल खड़ा किया है। कहा है कि क्यों जनता प्रस्ताव लागू करना राज्य के उपभोक्ताओं के लिए जरूरी है। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा है कि आठ सालों में प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं पर डाले गए आर्थिक बोझ होश उड़ाने वाले हैं।
लगातार घाटे कि बात करने वाली बिजली कंपनियों ने आठ सालों में सभी श्रेणी की बिजली के दामों में काफी इजाफा किया है। जिस कारन सबसे अधिक बोझ ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलू बिजली के उपभोक्ताओं पर डाला गया है। इन आठ वर्षों के दौरान घरेलू ग्रामीण मीटर्ड अंतिम स्लैब तथा घरेलू ग्रामीण फिक्स चार्ज उपभोक्ताओं की बिजली सीधे 500 फीसदी तक मंहगी की जा चुकी है। शहरी बिजली पहले से मंहगी रही है लिहाजा इस बिजली के दरों में वृद्धि का ग्राफ नीचे है।
यदी इस बार भी ग्रामीण घरेलू व किसानों की बिजली दरों में बढ़ोत्तरी की गई तो ग्रामीण उपभोक्ताओं की कमर टूट जाएगी। चाह कर भी गांव के लोग बिजली का उपभोग नहीं कर पाएंगे। जिसके मद्देनज़र उपभोक्ता परिषद ने प्रदेश सरकार से मांग की गई है कि इस पूरे मामले में हस्तक्षेप करते हुए राज्य की जनता को राहत दिलाए। बिजली दर के जनता प्रस्ताव पर निर्णय लिया जाना ही बेहतर विकल्प है। साथ हीं उपभोक्ता परिषद ने आरोप लगाया है कि स्लैब में बदलाव के बहाने गुपचुप तरीके से बिजली दर बढ़ाने की कोशिश के कारण ही बिजली कंपनियां स्लैब पर नियामक आयोग द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब नहीं दे पा रही हैं।