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Family of Hathras case victim refuses to do bone immersion: हाथरस केस की पीड़िता के परिजनों ने किया अस्थी विसर्जन करने से इनकार, जानिए क्या है वजह।

लखनऊ। हाथरस पीड़िता के परिजनों ने अस्थी विजर्सन से इनकार कर दिया है। शनिवार को वरिष्ठ अधिकारियों के आश्वासन के बाद परिजनों ने अस्थियों का संग्रह तो किया, लेकिन विजर्सन से साफ मना कर दिया। उनका कहना है कि न्याय मिलने पर ही अस्थियों का विसर्जन किया जाएगा।

बीते दिन मंगलवार 29 सितंबर की रात प्रशासन व पुलिस ने पीड़िता के शव का दाह संस्कार कराया था। मृतक के परिजनों ने बिना अनुमति के शव का अंतिम संस्कार करने का आरोप लगाया था। परिजनों का कहना था कि अंतिम संस्कार से पहले प्रशासन ने उन्हें बिटिया का चेहरा तक नहीं दिखाया। यह शव किसका है, उन्हें नहीं बताया। जब हमें यही नहीं पता कि शव किसका है तो अस्थियां क्यों चुने। उनका कहना था कि यह तो पुलिस ही बता सकती है कि किसका शव उन्होंने तेल डालकर जलाया है। इस पर प्रशासन ने परिजनों को समझाया, लेकिन परिजनों ने शव को बिटिया का ही मानने से इंकार कर दिया था।

शनिवार को अपर प्रमुख गृह सचिव अवनीश अवस्थी और डीजीपी हितेश अवस्थी के पीड़िता के परिजनों से घटना के बारे में जानकारी ली। अधिकारियों के समझाने बुझाने पर शाम को परिजन अस्थियां लेने के लिए पहुंचे। जहां गम और गुस्से के बीच पीड़िता के भाई ने अस्थियों का संचय किया। इसी बीच उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि जबतक उन्हें न्याय नहीं मिलेगा, तबतक वह अस्थियों का गंगाघाट में विसर्जन नहीं करेंगे। ऐसे में चार दिन बाद भी पीड़िता की चिता की राख में मौजूद अस्थियों को गंगा घाट का इंतजार है। जिससे की उन्हें मुक्ति मिल सके।

पीड़िता के परिजनों ने पुलिस प्रशासन पर उनकी निगरानी करने का भी आरोप लगाया था। परिजन यह भी कहते रहे कि उन्हें क्या पता प्रशासन ने किसका शव जला दिया। वही ज्योतिषियों का कहना हैं कि मध्य रात्रि 12 से लेकर ब्रह्म मुहूर्त में सुबह चार बजे तक शव का दाह संस्कार करना वर्जित मना गया है। तड़के चार बजे तक शव का अंतिम संस्कार नहीं किया जाता है। दाह संस्कार के तीसरे या चौथे दिन अस्थि संचय करने का विधान है। अस्थियां गंगाघाट पर विसर्जन की जानी चाहिए। जबतक गंगा में अस्थियां विसर्जन से मृतक आत्मा को मुक्ति प्राप्त होती है।

चूल्हे में जले आग तो पेट की भी बु़झे आग॥

बूलगढ़ी में शनिवार को भी दुष्कर्म पीड़िता के परिवार में चूल्हा नहीं जला। जिसके चलते परिजनों के पेट की भूख की आग साफ देखी गई। यहीं नहीं परिजनों के अलावा पशु भी चारे के इंतजार में रहे। चंदपा क्षेत्र के गांव बूलगढ़ी निवासी युवती के साथ 14 सितंबर को गांव के ही कुछ युवकों पर गैंगरेप का आरोप है। मारपीट कर युवती को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। घायल पीड़िता को उपचार के लिए पहले बागला संयुक्त अस्पताल और उसके बाद अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज ले जाया गया था। जहां से गंभीर हालत में उसे अलीगढ़ से दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल ले जाया गया था। जहां 29 सितंबर की सुबह पीड़िता ने दम तोड़ दिया था। उसी दिन रात को पीड़िता का शव गांव लाया गया था। जहां परिजनों ने पुलिस-प्रशासन पर बिना उनकी अनमुति के शव का दाह संस्कार करने का आरोप लगाया था। परिजनों ने भी मीडिया से कहा था कि पूरे दिन उनके घर पर पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों का आना-जाना लगा रहा था। घर व आस-पास पुलिस का कड़ा पहरा। उनका खाना-पीना तक मुश्किल हो गया है।

शनिवार को जब तीन दिन बाद प्रशासन ने मीडिया के गांव में जाने की इजाजत दी तो गांव में स्थानीय व दिल्ली से आए मीडिया कर्मी उनके घर पहुंच गए। इसके अलावा डीजीपी व प्रमुख सचिव गृह के आने के चलते प्रशासनिक अधिकारियों के आने का सिलसिला लगा रहा। जिसके चलते परिजन काफी परेशान दिखाई दिए। परिजनों ने बताया कि उनका घर के काम-काज करना व खाना बनाना तक मुश्किल हो गया है। जिसके चलते घर के लोग भूख प्यास से परेशान हैं। यहीं नहीं पशुओं तक को चारा नहीं मिल पा रहा है। भूख से परेशान एक पशु खुलकर भाग गया। जैसे-तैसे परिजन ढूंढकर लेकर आए। अंत में परिजनों ने मीडिया कर्मियों से कहा कि वह उनके घर से चले जाए और उन्हें अपने काम करने दें।

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