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Rang Bhari Ekadashi in Kashi 2021: काशी में रजत पालकी पर निकला शिव परिवार, बाबा विश्वनाथ के साथ भक्तों ने जमकर खेली होली, गुलाल-गुलाब की बीछ गई चादर।

वाराणसी। काशी के पुराधिपति बाबा विश्वनाथ के साथ बुधवार रंगभरी एकादशी को भक्तों ने जमकर होली खेली। हर-हर महादेव के जयघोष के बीच आरती के बाद महंत आवास से शाही अंदाज में बाबा विश्वनाथ मां गौरा और पुत्र गजानन संग रजत पालकी पर विराजमान होकर निकले तो भक्तों ने अरीब गुलाल लगाकर उनका स्वागत किया।धरती से लेकर आसमान तक गुलाल और गुलाब की चादर बिछ गई।

वही हर-हर महादेव का जयकारा लगाते भक्तों की कतार बाबा के दर्शन को आतुर खड़ी थी। पालकी जिधर से गुजरी होलियाना हुड़दंग नजर आया। बाबा के भाल पर पहला गुलाल सजाकर काशीवासियों ने होली के हुड़दंग की अनुमति ली।

रंगभरी एकादशी पर देर शाम काशीपुराधिपति सपरिवार रजत पालकी पर सवार होकर निकले। बाबा के राजसी स्वरूप के दर्शन के लिए भक्तों का रेला ऐसा उमड़ा कि गलियों में जाम लग गया। जमीन से लेकर आसमान तक बस लाल-लाल ही नजर आ रहा था। बाबा से लेकर भक्त तक सभी लाल रंग में रंगे थे। बाबा के राजसी स्वरूप के दर्शन के लिए मंदिर में भक्तों की कतार लगी रही।

पूरा गर्भगृह परिसर भी गुलाब और गुलाल की लाल आभा से दमक रहा है। भगवान भास्कर की लालिमा के साथ ही शिव-शक्ति को पंचगव्य से स्नान कराकर षोडशोपचार विधि से पूजन किया गया। अनुष्ठानों का दौर शुरू हुआ तो बाबा दरबार हर-हर महादेव के उद्घोष से गूंज उठा।

बता दें कि, सुबह सात बजे से ही गौना के लोकाचार आरंभ हो गया था। इसके बाद बाबा का शृंगार किया गया। महंत परिवार की महिलाएं गीत गाते हुए श्रीकाशी विश्वनाथ दरबार पहुंचीं और बाबा की आंखों में लगाने के लिए मंदिर के खप्पड़ से काजल लिया। गौरा के माथे पर सजाने के लिए परंपरानुसार सिंदूर माता अन्नपूर्णा मंदिर के मुख्य विग्रह से लाया गया। शिव-पार्वती के विग्रह को महंत आवास के भूतल स्थित हाल में विराजमान कराया गया और भोग अर्पित किया गया। महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने विधि विधान से मंत्रों के बीच महाआरती की। गौरा की अंगनाई मंगल गीतों से गूंज उठी।

बाबा की पालकी के दर्शन और छू लेने की ललक लिए लोग गलियों में कतारबद्ध खड़े रहे। महंत आवास पर बाबा के राजसी स्वरूप का दर्शन करने के बाद अगवानी के लिए हाथ में गुलाल और गुलाब लेकर कतारबद्ध खड़े हो गए। जैसे-जैसे पालकी उठने की मंगल बेला नजदीक आती रही भक्त भी हर-हर महादेव के जयघोष से बाबा के अभिवादन के लिए खुद को तैयार करते रहे।

कुलपति तिवारी के मुताबिक सन 1664 से ये परम्परा निरंतर चलती आ रही हैं। पहले काठ की लकड़ी के पालकी पर है यात्रा निकाली जाती थी। स्वर्गीय पंडित रामदत्त त्रिपाठी ने 1890 में पहली बार रजत सिंहासन पर पालकी यात्रा निकाली उसके बाद से इसी पालकी पर बाबा विश्वनाथ मां गौरा का गवना कराते हैं।

357 साल पुरानी हैं परम्परा॥

काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत कुलपति तिवारी ने बताया कि 357 सालों से ये परम्परा चली आ रही हैं। मान्यताओं के अनुसार, शिवरात्रि पर बाबा विश्वनाथ के विवाह के बाद वो अपने ससुराल में ही रुक जाते हैं।फिर रंगभरी एकादशी को गौरा का गवना कराकर वापस हिमालय आते हैं। इसी परम्परा के तहत काशी विश्वनाथ के महंत आवास पर बसंत पंचमी से रंगभरी एकादशी तक बाबा विश्वनाथ के विवाह की तमाम रस्में निभाई जाती हैं।

देवता भी खेलते हैंं होली॥

काशी विश्वनाथ मंदिर के प्रमुख अर्चक श्रीकांत मिश्रा ने बताया कि गौरा के गवनें के दौरान भक्त ही नहीं बल्कि सभी देवी देवता काशी आते हैं और बाबा विश्वनाथ और मां गौरा पर रंग गुलाल उड़ाते है।

बाबा विश्वनाथ की उतारी गई भव्य आरती॥

रंगभरी एकादशी पर काशी में बाबा श्री काशी विश्वनाथ के गौने की बारात शाम करीब 5:45 बजे मंदिर परिसर में प्रवेश की। इस दौरान मंदिर प्रशासन द्वारा अबीर गुलाल उड़ाकर और डमरू वादन कर भव्य स्वागत किया गया। माता पार्वती के साथ पहुंची बाबा की चल रजत प्रतिमा का भव्य शृंगार किया गया। शृंगार के पश्चात बाबा की आरती उतारी गई।

इस दौरान बाबा दरबार हर-हर महादेव के उद्घोष से गूंज उठा। लाखों भक्तों ने बाबा विश्वनाथ को अबीर गुलाल चढ़ा कर दर्शन पूजन किया। मंदिर परिसर में शिवर्चनम कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसका शुभारंभ धर्मार्थ कार्य मंत्री नीलकंठ तिवारी ने किया। इस दौरान गायन वादन और नृत्य का संगम प्रवाहित हुआ।

कार्यक्रम की शुरुआत शहनाई वादन से हुआ। कलाकार जवाहर लाल एवं उनके साथियों ने शहनाई बजाकर मंगल ध्वनि से बाबा का स्वागत किया। इसके बाद कथक नृत्य में रविशंकर मिश्रा व ममता टंडन द्वारा युगल प्रस्तुति दी गई।

शिवानी आचार्य में शास्त्री गायन से सभी शिव भक्तों को भक्ति रस से सराबोर कर दिया। अगली प्रस्तुति में पंडित सुखदेव मिश्रा व पंडित वायलिन और तबले पर जुगलबंदी रही, जिसकी श्रोताओं ने जमकर सराहना की। कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति पुनीत एवं कलाकारों की शिव तांडव एवं शिव पर आधारित कार्यक्रम से हुई।

कलाकारों की प्रस्तुति देख सभी भक्त झूमते नजर आए। इस दौरान बाबा के भक्त हर-हर महादेव और बम भोले का जयकारा लगाते रहे। संचालन संयोजिका ममता शर्मा ने किया। कार्यक्रम में मंडल आयुक्त वाराणसी दीपक अग्रवाल, मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील कुमार वर्मा, ज्वाइंट कमिश्नर उमेश सिंह, अपर मुख्य कार्यपालक निखिलेश मिश्रा सहित बड़ी संख्या में अधिकारी उपस्थित रहे।

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