नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने देश में कोरोना महामारी की गंभीर स्थिति को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि उनको अपने उस गुलाबी चश्मे को उतारना चाहिए जिससे ‘सेंट्रल विस्टा’ परियोजना के अलावा कुछ और नहीं दिखाई देता। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘नदियों में बहते शव, अस्पतालों में लंबी लाइनें, जीवन सुरक्षा का छीना हुआ हक! प्रधानमंत्री, वो गुलाबी चश्में उतारिए जिससे सेंट्रल विस्टा के सिवा कुछ दिखता ही नहीं।’’
उन्होंने ने कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करने के मकसद से चलाए गए सोशल मीडिया अभियान ‘स्पीकअप टू सेव लाइव्स’ के तहत लोगों से इस वक्त एकजुट होने की अपील की। कांग्रेस नेता ने एक मिनट का वीडियो साझा किया जिसमें दिखाया गया है कि ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, आईसीयू बेड और टीके की कमी है तथा लोग इनके लिए संघर्ष कर रहे हैं।
राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘हमारे देश को इस मुश्किल समय में मददगार हाथों की जरूरत है। चलिए, हम लोगों का जीवन बचाने के लिए अपने हिस्से का योगदान दें। इस अभियान से जुड़िए और कोरोना के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करिए।’’ कांग्रेस ने कोरोना संकट में लोगों की मदद के लिए अपने राष्ट्रीय कार्यालय और प्रदेश इकाइयों के कार्यालयों में भी कंट्रोल रूम स्थापित किए हैं। पार्टी की युवा इकाई भारतीय युवा कांग्रेस भी सोशल मीडिया और फोन के माध्यमों से लोगों की मदद कर रही है।
बता दें कि, बिहार के बक्सर के गंगा घाटों पर बहकर आए हुए शव एक जगह जमा हो गए हैं। हालांकि प्रशासन ने इस मामले में अपना पल्ला झाड़ते हुए यह कह दिया है कि ये सभी लाशें यूपी से बहकर आईं है।
बक्सर प्रशासन के मुताबिक जिले के घाटों पर करीब 40 से 45 लाशें जमा है जो अलग अलग जगहों से बहकर यहां इक्कठा हो गई है। साथ ही प्रशासन ने यह भी कहा कि ये लाशें यहां की नहीं हैं, लगता है कि ये उत्तरप्रदेश से बहकर आईं हैं। इसलिए इन लाशों का अंतिम संस्कार करने का विचार किया जा रहा है।
वहीं इस मामले मे बक्सर के एसडीएम के के उपाध्याय ने भी इस मामले में पल्ला झाड़ते हुए कहा है कि ये बिहार की नहीं उत्तर प्रदेश की लाशें हो सकती हैं क्योंकि यहां लाशों को बहाने की परंपरा नहीं है।
हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पिछले कुछ दिनों में बक्सर के श्मशान घाटों पर क्षमता से अधिक लाशों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। जिसकी वजह से कई शवों के अंतिम संस्कार करने में दिक्कतें आ रही हैं। इसलिए कई लोग अपने स्वजनों के शव का अंतिम संस्कार करने की बजाय उसे नदी में बहा दे रहे हैं। एक समाचार पत्र की रिपोर्ट के अनुसार पिछले दिनों बक्सर के चौसा घाट पर करीब 16 शवों को नदी में बहा दिया गया था।
ग़ौरतलब है कि, पिछले दिनों उत्तरप्रदेश के हमीरपुर में यमुना नदी में दर्जनों शव को नदी में बहता हुआ देखा गया था। जिसके बाद कहा गया था कि ग्रामीण इलाकों में लोग कोरोना संक्रमण के डर के चलते कई शवों को बिना जलाए हुए ही बहा दे रहे हैं। वैसे हमीरपुर और कानपुर के कुछ इलाकों में यमुना नदी को मोक्ष दाहिनी कालिंदी के रूप में माना जाता है। जिसकी वजह से कुछ लोग अपने स्वजनों के शव को यमुना नदी में बहा देते हैं।
पहले नदी में एक दो शव ही बहते हुए देखे जाते थे लेकिन कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच यहां नदी में काफी शव देखने को मिल रहे हैं। हालांकि हमीरपुर के अपर पुलिस अधीक्षक ने इस मामले में कहा था कि अधिकांश शव कानपुर आउटर की तरफ से जिले की तरफ आ गए थे।