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कोरोना वायरस का डेल्टा प्लस वेरिएंट कितना खतरनाक? बचाव के लिए एक्सपर्ट ने दी ये सलाह।

How dangerous is the Covid-19 Delta variant.

नई दिल्ली। कोरोना वायरस के डेल्टा प्लस वेरिएंट के उभार ने एक बार फिर भारत समेत दुनियाभर कि सरकारों और विशेषज्ञों को चिंता में डाल दिया है। भारत में दूसरी लहर में तबाही के लिए जिम्मेदार माना जाने वाला डेल्टा प्लस वैरिएंट को वैरिएंट ऑफ कर्सन नामित किए जाने के बाद इस पर चर्चा काफी तेज हो गई है। वैरिएंट ऑफ कर्सन वायरस के ऐसे रूप को कहा जाता है जो तेजी से फैल रहा हो और आने वाले समय में चिंता खड़ी कर सकता हो। हालांकि, कई एक्सपर्ट का कहना है कि डेल्टा प्लस की वजह से अभी पैनिक होने की जरूरत नहीं है।

पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट और महामारी एक्सपर्ट के. श्रीकांत रेड्डी ने कोरोना वायरस के डेल्टा प्लस वैरिएंट की मौजूदा स्थिति, उस पर वैक्सीनेशन का प्रभाव, संक्रमण बढ़ने और उससे बचाव को लेकर विस्तार से बताया है।

भारत समेत दुनिया भर में डेल्टा के कुछ ही केस॥

भारत में दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार माना जा रहा डेल्टा वैरिएंट दुनिया के 85 देशों में पहुंच चुका है और 11 इलाकों में तो इसके मामले बीते दो हफ्तों में ही सामने आए हैं। यह बात विश्व स्वास्थ्य संगठन |WHO| ने कोविड पर 22 जून को जारी अपने अपडेट में कही है। ऐसे में बाकी वैरिएंट के मुकाबले डेल्टा के हावी होने की आशंका जताई है। वहीं, डेल्टा प्लस के भारत समेत अन्य देशों में कुछ ही मामले सामने आए हैं।

डेल्टा प्लस वैरिएंट पर वैक्सीन कितनी प्रभावी॥

डेल्टा प्लस वैरिएंट पर वैक्सीन कितनी प्रभावी है इसको लेकर भारत में आईसीएमआर अभी स्टडी कर रहा है। हालांकि, डेल्टा प्लस वैरिएंट पर वैक्सीन का असर जानने के लिए अधिक डाटा की जरूरत होगी। चूंकि, दुनियाभर में अभी डेल्टा प्लस संक्रमण के मामले अभी काफी कम हैं ऐसे में इस पर वैक्सीन के प्रभाव का पता लगाने में अभी समय लगेगा। अभी इस बात के कोई सबूत नहीं है कि इसका संक्रमण बढ़ रहा है।

इस तरह से होगा संक्रमण से बचाव॥

महामारी एक्सपर्ट रेड्डी का कहना है कि कोरोना वायरस के किसी वैरिएंट के संक्रमण से बचाव के लिए मास्क का प्रयोग करना, भीड़भाड़ वाली जगहों में जाने से बचना और वैक्सीनेशन के जरिए इम्यूनिटी हासिल करना जरूरी है। इससे वायरस के संक्रमण की आशंका बहुत कम हो जाएगी। वायरस मुख्य रूप से नाक, मुंह और आंखों के जरिये हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं। यदि वायरस के संक्रमण के लिए जगह नहीं मिलेगी तो वह धीरे-धीरे निष्क्रिय हो जाएगा। ऐसे में अधिक से अधिक वैक्सीनेशन और कोविड गाइडलाइन्स के अनुरूप व्यवहार से ही संक्रमण से बचा जा सकता है।

वैक्सीनेशन तेज करना होगा, गंभीर बीमारी से सुरक्षा॥

डॉ. रेड्डी के अनुसार हमे वर्तमान में वैक्सीन से सुरक्षा का फायदा उठाने के लिए वैक्सीनेशन को तेज करना होगा। भले ही अल्फा वैरिएंट के मुकाबले डेल्टा वैरिएंट पर वैक्सीन का प्रभाव कम है लेकिन मौजूदा वैक्सीन गंभीर बीमारी और मौत से बचाव कर रही हैं। वैक्सीन का असर उसी सूरत में कम होता है जब एंटीबॉडी को मात देकर प्रोटीन सतह पर विकसित होता हुआ अपने स्वरूप में बदलाव करने में सक्षम होता है।

क्या है डेल्टा प्लस वेरिएंट ?

यह नया स्वरूप डेल्टा प्लस (एवाई.1) भारत में सबसे पहले सामने आए डेल्टा (B.1.617.2) में म्यूटेशन से बना है। इसके अलावा K41N नाम का म्यूटेशन जो दक्षिण अफ्रीका में बीटा वेरिएंट में पाया गया था उससे भी इसके लक्षण मिलते हैं। इसलिए यह ज्यादा खतरनाक है।

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