वाराणसी। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित काशी अन्नपूर्णा मठ मंदिर के महंत रामेश्वर पुरी को रविवार को शिवपुर के श्री अन्नपूर्णा ऋषिकुल ब्रह्मचर्य आश्रम में भू समाधि दी गई। शनिवार देर रात अखाड़े के संतों ने भू समाधि दिलाने का निर्णय लिया। भोर में सुबह पांच बजे उनके पार्थिव शरीर का अभिषेक कराया गया। इसके बाद रुद्राक्ष तुलसी और फूलों की माला अर्पित की गई। महंत के पार्थिव शरीर को सिंहासन पर विराजमान कराकर आरती उतारी गई।
उपमहंत शंकर पुरी की अगुवाई में महंत की अंतिम यात्रा मंदिर प्रांगण से आरंभ हुई। मंदिर परिवार के सदस्यों ने कंधे पर महंत का सिंहासन उठाया, और बांस फाटक पहुंचे। इस दौरान जगह-जगह काशीवासियों ने महंत पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। वहां से अंतिम यात्रा शिवपुर स्थित ब्रह्मचर्य ऋषिकुल संस्कृत विद्यालय के प्रांगण में पहुंची। वैदिक मंत्रों के बीच महंत को भू समाधि दी गई।
वही महंत रामेश्वर पुरी को भू समाधि देने से पहले उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रतिनिधि के तौर पर प्रदेश के धर्मार्थ कार्य मंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी पहुंचे। उनके साथ कैंट विधानसभा के भाजपा विधायक सौरभ श्रीवास्तव भी थे। इसके अलावा महानिर्वाणी अखाड़े के संत, काशी का संत समाज, प्रमुख मंदिरों के महंत, राजनीतिक पार्टियों के सदस्य और शहर के अन्य गणमान्य लोग मौजूद थे।
बता दें कि, महंत का शनिवार को महमूरगंज स्थित एक निजी चिकित्सालय में निधन हो गया था। उपमहंत शंकर पुरी ने बताया कि महंत रामेश्वर पुरी पिछले 10 दिनों से लखनऊ स्थित मेदांता अस्पताल में वेंटिलेटर पर थे। उनकी हालत चिंताजनक थी। चिकित्सकों ने जब जवाब दे दिया तो शुक्रवार की रात उन्हें मेदांता से लाकर महमूरगंज स्थित निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। शनिवार की दोपहर 3:30 बजे उन्होंने शरीर त्याग दिया। महंत रामेश्वर पुरी हरिद्वार में कुंभ स्नान के पहले ही कोराना संक्रमित हो गए थे। वहां से नई दिल्ली में इलाज कराने के बाद लखनऊ आ गए थे। इसके बाद ठीक होकर वह अन्नपूर्णा मंदिर लौटे थे।
मंदिर प्रबंधक ने बताया कि 2004 में तत्कालीन महंत त्रिभुवन पुरी के निधन के बाद रामेश्वर पुरी को 17 अक्तूबर 2004 में महानिर्वाणी अखाड़े से संबद्ध श्री अन्नपूर्णा मठ मंदिर की महंती दी गई थी। उनके नेतृत्व में काशी अन्नपूर्णा अन्न क्षेत्र ट्रस्ट निरंतर समाज सेवा क्षेत्र में विस्तार कर रहा था। उनके महंत बनने के समय अन्नक्षेत्र के रूप में ट्रस्ट का सिर्फ एक प्रकल्प संचालित था। आज शिक्षा, चिकित्सा, स्वावलंबन, वृद्धजन सेवा समेत तमाम कार्य किए जा रहे हैं।
पीएम मोदी और मुख्यमंत्री ने जताया शोक॥
महंत के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शोक जताया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि काशी अन्नपूर्णा मंदिर के महंत रामेश्वरपुरी जी के देहावसान से अत्यंत दुख हुआ है। उनका जाना समाज के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उन्होंने धर्म और अध्यात्म को समाज सेवा से जोड़कर लोगों को सामाजिक कार्यों के लिए निरंतर प्रेरित किया। ॐ शांति !
महंत रामेश्वर पुरी के जीवन से जुड़े कुछ विशेष अंश॥
- 7 जुलाई 1954 कानपुर के पास एक गांव में हुआ जन्म।
- 1991 में श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी से शिवाला घाट पर सन्यास लिया।
- 1991 से 1993 तक गुजरात रहे।
- 1993 में वाराणसी अन्नपूर्णा मंदिर आए और वहीं रहे। 2004 में अन्नपूर्णा मंदिर महंत की गद्दी पर बैठे।
- महंत रामेश्वरपुरी जब महंत की गद्दी पर बैठे तो सिर्फ एक अन्नक्षेत्र चल रहा था, आज 14 निशुल्क संस्थाएं महंत के प्रयास से चल रही हैं।
- उमा भारती महंत को अपना गुरु भाई मानती थीं।
- सीएम ने अन्नपूर्णा मठ मंदिर की सेवाओं की तारीफ की थी।
- पीएम के काशी दौरे पर कनाडा में मिली मां अन्नपूर्णा की मूर्ति को काशी लाने पर हुई थी चर्चा।
- मंदिर की ओर से हर साल 25 गरीब कन्याओं का विवाह व सौ बटुकों का उपनयन संस्कार होता है।
- 2004 में अन्नक्षेत्र में मात्र 20 लोग आते थे वर्तमान में कोविड काल से पहले पांच से सात हजार लोग रोजाना प्रसाद ग्रहण करते हैं।