वाराणसी। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में महान श्रम साधक संत कबीरदास का खुद को अनुयायी बताकर दुनिया को शांति और मानवता का संदेश देने वाले मौजूदा समय में आपस में ही झगड़ा और मारपीट कर रहे हैं। इसका ताजा मामला गुरुवार को वाराणसी में देखने को मिला। कबीरचौरा मठ मूलगादी के पीठाधीश्वर आचार्य महंत विवेकदास ने आरोप लगाया है कि उन पर एक कबीरपंथी साधु ने लाठी से हमला कर दिया। हमले में महंत घायल हुए हैं।
जिसके बाद महंत का कबीरचौरा अस्पताल में उपचार कराया गया। घटना की सूचना चेतगंज थाने की पुलिस के साथ ही जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा और पुलिस कमिश्नर (CP) ए. सतीश गणेश को दी गई है। चेतगंज थाने की पुलिस आरोपी साधु को हिरासत में लेकर घटना की जांच कर रही है।
वही महंत विवेकदास ने बताया कि बीते कुछ महीनों से मठ में प्रहलाददास रह रहे हैं। उन्हें हमने कहा था कि वह शिष्टाचार के साथ मठ में रहें। वह प्रतिबंधित जगह पर जूते पहन कर जाते हैं। इसे लेकर भी प्रहलाददास को कई बार समझाया गया था। इन बातों से प्रहलाददास नाराज रहते हैं और उनके बारे में उटपटांग बातें करते रहते हैं। महंत ने बताया कि कल उन्हें पटना जाना था तो आज वह मठ में लगाए गए लौकी के पौधों को सही कर रहे थे। उसी दौरान पीछे से प्रहलाददास आए और उनके सिर व पीठ पर लाठी से ताबड़तोड़ वार किए। हमले में उनके सिर और पीठ पर चोट लगी है।
हमले के दौरान बीचबचाव करने आए शिष्यों पर भी प्रहलाददास ने लाठी से वार किया। घटना की सूचना चेतगंज थाने की पुलिस को देकर उन्हें उपचार के लिए अस्पताल ले जाया गया। मुकदमा दर्ज कराने के लिए चेतगंज थाने में तहरीर दे दी गई है।
इस संबंध में चेतगंज थाना प्रभारी ने बताया कि कबीर मठ के महंत की शिकायत पर आरोपी साधु को हिरासत में लिया गया है। मठ में रहने वालों का आपस का विवाद है। तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
वही चेतगंज थाने में बैठाए गए प्रहलाददास ने भी महंत विवेकदास पर कई आरोप लगाए। प्रहलाददास ने कहा कि वह कबीर मठ में लंबे समय से रहते हैं। उनसे जो बन पड़ता है वह काम करके मठ के लोगों का सहयोग करते रहते हैं। महंत विवेकदास उन्हें मठ से भगाने की फिराक में हैं। इसी वजह से आए दिन अनायास ही उनके साथ गालीगलौज कर जान से मारने के साथ ही जेल भिजवाने की धमकी देते रहते हैं। उन्होंने इसकी शिकायत पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों से कई बार की, लेकिन महंत विवेकदास के प्रभाव के कारण उनकी कहीं सुनवाई नहीं हुई।