भोपाल। महानतम बल्लेबाज और भारत रत्न से सम्मानित सचिन तेंदुलकर देर रात सीएम हाउस पहुंचे, जहां उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की। सचिन तेंदुलकर मंगलवार को मध्यप्रदेश पहुंचे थे, जहां उन्होंने बाल आश्रम श्री रामकृष्ण सेवा कुटीर संस्था के कार्यक्रम में शिरकत की। इस दौरान सचिन ने कहा कि इस संस्था में 560 बच्चे शिक्षा हासिल कर रहे हैं, जिनके साथ मैं जुड़ा हूं। मेरे पिता का सपना था कि गरीब बच्चों के लिए कुछ किया जाए। वो अगर आज हमारे बीच होते तो बहुत खुश होते।

बता दे कि मध्यप्रदेश दौरे के दौरान सचिन तेंदुलकर ने सीएम की विधानसभा बुधनी के सेवनिया में बच्चों से मुलाकात करके फिर देर रात सीएम शिवराज सिंह से मुलाकात कर उन्हें अपने फाउंडेशन द्वारा किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी। सचिन तेंदुलकर फाउंडेशन मध्य प्रदेश में ‘परिवार फाउंडेशन’ नाम से श्री रामकृष्ण विवेकानंद सेवा कुटीर स्वयंसेवी संस्था के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। इसके बाद सीएम शिवराज ने भी सचिन को भरोसा दिलाया कि प्रदेश में उनके फाउंडेशन द्वारा किए जा रहे अच्छे कार्यों में राज्य सरकार पूरा सहयोग करेगी। सीएम ने कहा कि जो भी जरूरत होगी, उसमें जिला प्रशासन का सहयोग मिलेगा। सरकार उनके साथ मिलकर कार्य करेगी।
वहीं सेवनिया गांव में पहुंच कर सचिन के फैन छात्र गोरिश लखेरा के बैट पर आटोग्राफ दिया। सचिन ने बच्चों से कहा, “सपनों का पीछा करो, अक्सर सपने ही सच होते हैं आपके सपनों को पंख देने में कमी नहीं आएगी।” सचिन ने कुटीर की छात्रा मनीषा बारेला से पूछा कि पढ़ाई के बाद तुम क्या करना चाहती हो छात्रा ने जवाब दिया कि वह पुलिस अफसर बनेगी। वहीं कुछ बच्चों ने सचिन से कहा मुझे आपकी तहर किक्रेटर बनाना है तो कुछ ने कहा मुझे डाक्टर बनना है। ओर बच्चों ने भी निसंकोच होकर अपनी बातें रखी। इस पर सचिन ने कहा आपके हर सपने पुरे किए जाऐगें। उन्होंने बच्चो से कहा, पहले पढ़ाई करो तो अच्छे से आप सब कुछ बन सकते हो बस हौंसला बनाए रखों ओर पढाई करते रहों मै आपके साथ हूं।
बता दें इतिहास के पन्नों में 16 नवंबर तारीख हमेशा के लिए दर्ज है। इसी दिन सचिन तेंदुलकर ने क्रिकेट को अलविदा कहा था। वेस्टइंडीज के खिलाफ 14 नवंबर को शुरू हुए मुंबई टेस्ट के दूसरे दिन सचिन 74 रन बनाकर वापस आए थे और अगले दिन भारत की जीत के साथ ही सचिन ने क्रिकेट के सफर को विराम दे दिया था। इसी दिन करोड़ों प्रशंसकों ने क्रिकेट के एक युग को खत्म होते देखा था। उनका विदाई भाषण आज भी याद किया जाता है।