नई दिल्ली। धनशोधन के मामले में शिवसेना नेता संजय राउत की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। आज एक बार फिर से संजय राउत की न्यायिक हिरासत को 14 दिनों के लिए बढ़ा दिया गया। इसके साथ ही उनकी जमानत याचिका पर 21 सितंबर को सुनवाई होगी।
दरअसल, संजय राउत को प्रवर्तन निदेशालय की ओर से गिरफ्तार किया गया है। प्रवर्तन निदेशालय संजय राउत की जमानत याचिका का लगातार विरोध कर रहा है। प्रवर्तन निदेशालय का दावा है कि पात्रा चॉल पुनः विकास परियोजना से जुड़े धनशोधन मामले में शिवसेना नेता की महत्वपूर्ण भूमिका है। ईडी के मुताबिक इस मामले में संजय राउत ने पर्दे के पीछे से काम किया है।
पीएमएलए कोर्ट में संजय राउत ने जमानत अर्जी दी है। संजय राउत का दावा है कि राजनीतिक प्रतिशोध की वजह से उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। जबकि प्रवर्तन निदेशालय इससे साफ तौर पर इंकार कर रहा है। इससे पहले 5 सितंबर को भी संजय राउत की न्यायिक हिरासत को 14 दिनों के लिए बढ़ाया गया था।
शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत उद्धव ठाकरे के बेहद करीबी हैं। यही कारण है कि उद्धव ठाकरे भी लगातार संजय राउत के पक्ष में खड़े दिखाई दे रहे हैं। 60 वर्षीय संजय राउत को 1 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था। उस दौरान संजय राउत ने साफ तौर पर कहा था कि वह डरने वाले नहीं हैं। इस मामले में संजय राउत की पत्नी से भी लगातार पूछताछ की गई है।
क्या है पूरा मामला?
ईडी पात्रा चॉल पुन:विकास परियोजना में कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच कर रही है। उपनगर गोरेगांव में स्थित सिद्धार्थ नगर, जोकि पात्रा चॉल के नाम से लोकप्रिय है.. 47 एकड़ से ज्यादा भूमि में फैला हुआ है और उसमें 672 किराएदार परिवार रहते थे। महाराष्ट्र आवासीय आर क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण (महाडा) ने 2008 में पात्रा चॉल के पुन:विकास का काम एचडीआईएल से जुड़ी कंपनी गुरु आशीष कंस्ट्रेक्शन प्राइवेट लिमिटेड को सौंपा।
निविदा के अनुसार, कंस्ट्रक्शन कंपनी को किराएदारों के लिए 672 फ्लैट बनाने थे और कुछ फ्लैट उसे महाडा को भी देने थे। बाकी बची जमीन वह निजी डेवलपर्स को बेच सकता था। लेकिन 14 साल बाद भी किराएदारों को एक फ्लैट नहीं मिला क्योंकि कंपनी ने पात्रा चॉल का पुन:विकास नहीं किया। और सारी जमीन को दूसरे बिल्डरों को 1,034 करोड़ रुपये में बेच दी।