वाराणसी। पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद (स.) की पैदाइश का जश्न पूरी अकीदत और एहतराम के साथ रविवार को बनारस में मनाया गया। ईद-मिलाद-उन- नबी पर शहर में जगह-जगह से निकले जुलूस में नबी के आमद की खुशी साफ नजर आईं। बड़े, बुजुर्ग, नौजवान और बच्चे पूरी अकीदत से जुलूस में शामिल हुए। फिजा में इत्र और फूलों की खुश्बू के साथ नबी का जिक्र गूंज रहा था। हाथों में इस्लामी झंडा लिए बड़े, बुजुर्ग और बच्चे सभी नबी के आमद का पैगाम दे रहे थे। नाते पाक की धुन से पूरे शहर में एक अलग ही नूरानी रंग छा गया था।
‘सरकार की आमद मरहबा, दिलदार की आमद मरहबा…’ के नारों से पूरी फिजा गुलजार थी। जलसे में उलेमाओं ने हजरत मोहम्मद के उपदेशों पर प्रकाश डालते हुए लोगों को उनके बताए रास्ते पर चलने की नसीहत की।
ईद-मिलाद-उन- नबी का जुलूस है, मोहम्मद साहब की यौमे पैदाइश का दिन है आज। गूंजे कहीं पे शंख कहीं पे अजान हो, जब जिक्र ए एकता हो तो हिंदुस्तान हो। यौमे पैदाइश के दिन पर काशी पूरी तरह से सज गई।
लोग सफेद लकदक कुर्ता-पायजामा, सिर पर हरे, नीले, भूरे, सुनहरे, गुलाबी रंग का साफा पहने और हाथों में नबी का परचम लिए पूरे जोश के साथ जुलूस में शामिल हुए। फिजा में इत्र और फूलों की खुश्बू के साथ नबी का जिक्र गूंज रहा था। सरकार की आमद मरहबा…, दिलदार की आमद मरहबा… जैसे नारों से फिजा पुरनूर थी।
हाथों में हरी झंडियों के जरिए रसूल के आने का परचम लहराते हुए चल रहे थे, वहीं शान से तिरंगा लहराकर अपनी कौमी एकता का पैगाम भी दिया। जुलूस के दौरान माइक पर नबी की शान में नात और कव्वाली रास्ते भर लोग पढ़ते हुए चल रहे थे। बच्चों का भी जोश देखते बन रहा था।
जुलूस के दौरान सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम किए गए थे। शहर काजी गुलाम यासीन के नेतृत्व में सुबह सात बजे रेवड़ी तलाब से जुलूस निकाला। इसके साथ ही नई सड़क, हड़हा सराय, दालमंडी, लल्लापुरा, बजरडीहा, लोहता, सरैयां, बड़ी बाजार,नदेसर आदि जगहों से निकले जुलूस में बड़ी संख्या में मुस्लिम धर्म गुरू, अनुयायी शामिल हुए।