हापुड़। उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के गढ़मुक्तेश्वर क्षेत्र में बंदरों की हत्या गुड़ में दीमक मारने की दवा से की गई थी। यह खुलासा हापुड़ के एडिशनल एसपी मुकेश मिश्रा ने किया है। पुलिस ने खुलासा करते हुए दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनके कब्जे से दीमक की दवा बरामद की गई है। पकड़े गये आरोपियों ने बताया कि बंदर खेतों में फसल को नुकसान पहुंचा रहे थे, जिस वजह से इस वारदात को अंजाम दिया। पुलिस ने गिरफ्तार आरोपियों को वन्य जीव संरक्षक अधिनियम 1972 व धारा 429 के तहत कार्रवाई करते हुए जेल भेज दिया है।
मेरठ रोड स्थित पुलिस लाइन में प्रैस कांफ्रेंस में एडिशनल एसपी मुकेश मिश्रा व सीओ स्तुति सिंह ने बताया कि गढ़मुक्तेश्वर क्षेत्र के गांव झड़ीना में पुलिस और वन विभाग की टीम को काफी संख्या में बंदरों के शव पड़े हुए होने की सूचना मिली थी।
सूचना मिलने के बाद वन विभाग की टीम ने बंदरों के शव को पोस्टमार्टम के लिए बरेली भेज दिया। जबकि पुलिस अपनी जांच-पड़ताल में जुट गई। पुलिस ने बंदरों के शवों के पास से गुड और तरबूज बरामद किये गये, जिससे प्रतीत हो रहा था कि बंदरों को गुड़ या तरबूज में कुछ विषाक्त पदार्थ मिलाकर दिया गया है। थाना गढ़मुक्तेश्वर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए मौके से दो अभियुक्तों को गिरफ्तार किया।
26 बंदरों की हुई थी मौत॥
पकड़े गये आरोपी कपिल पुत्र चन्दकिरण चौहान निवासी शाहपुर चौधरी व रोहताश उर्फ लाला पुत्र मेघराज चौहान निवासी शाहपुर चौधरी ने बताया कि बंदरों ने उनकी गन्ने की फसल को बर्बाद कर दिया था। लगातार बंदर खेतों में नुकसान पहुंचा रहे थे। जिस वजह से उन्होंने एक किलो फैराडोन दीमक की दवाई लाकर गुड़ में मिलाकर बंदरों को दे दी। उन्हें लगा कि बंदर बेहोश हो जाएंगे और बाद में यहां से चले जाएंगे, लेकिन बंदरों की दीमक की दवाई खाने से मौत हो गई। पुलिस ने बंदरों के हत्यारे दोनों अभियुक्तों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। बता दें कि हापुड़ जिले के गढ़मुक्तेश्वर क्षेत्र में 26 बंदरों की मौत हुई थी।
मारने का नहीं था इरादा॥
आरोपित किसानों ने बताया कि उन्होंने बंदरों को बेहोश करने के लिए जहरीली दवा गुड़ में मिलाकर खिलाई थी। ताकि, होश में आने पर बंदर भयभीत होकर वहां से भाग जाएं। बंदरों की मौत का उन्हें भी पछतावा है।