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ज्ञानवापी मस्जिद मामले में कोर्ट का बड़ा फैसला, सातों मुकदमों पर अब एक साथ होगी सुनवाई।

Gyanvapi case: Varanasi district court delivers verdict, all 7 cases to be heard together.

वाराणसी। ज्ञानवापी विवाद से जुड़े सभी मामलों की अब एक साथ सुनवाई होगी। वाराणसी जिला कोर्ट ने मंगलवार को सभी मुकदमों को एक साथ क्लब करने का आदेश दे दिया है। वाराणसी के जिला जज डॉक्टर अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट ने हिंदू पक्ष ने मामलों को क्लब करने को लेकर दाखिल याचिका पर यह फैसला सुनाया है। ये केस ज्ञानवापी में कथित शिवलिंग मिलने, उसकी वैज्ञानिक जांच और परिसर का सर्वेक्षण, श्री विश्वनाथ जी को अपने अतिशय क्षेत्र पर अधिकार, माता श्रृंगार गौरी की पूजा का अधिकार जैसे मामलों से जुड़े हैं।

ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले से जुड़ी चार महिला याचिकाकर्ताओं ने जिला अदालत में अपील दायर कर कहा था कि ये सातों मुकदमे एक ही प्रकृति के हैं, एक ही मामले से जुड़े हैं और अपने-अपने अधिकारों के लिए दायर किए गए हैं, लेकिन सभी की सुनवाई वाराणसी में ही अलग-अलग अदालतों में चल रही है। इससे कई बार मतभेद और भ्रम को स्थिति भी बनती है। यह न्यायिक प्रक्रिया के लिए उचित नहीं है। ऐसे में इन सातों मामलों की सुनवाई एक साथ एक ही अदालत में एक ही जज के इजलास में की जाए। वाराणसी जिला कोर्ट में जिला जज ने उनकी यह अपील मंजूर कर ली है।

फैसले हो HC में चुनौती देगा मुस्लिम पक्ष॥

उधर दूसरे पक्षकार यानी मस्जिद के दावेदारों ने इस निर्णय से असहमति जताते हुए इसे इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है। हालांकि सुनवाई के दौरान भी मुस्लिम पक्षकारों ने एक साथ सुनवाई की दलीलों का पुरजोर विरोध किया था।

अगस्त 2021 में पांच महिलाओं ने स्थानीय कोर्ट में एक याचिका दायर कर ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित मां श्रृंगार गौरी स्थल पर नियमित पूजा करने का अधिकार मांगा था। अप्रैल 2022 में सीनियर डिवीजन की कोर्ट ने मस्जिद परिसर में सर्वेक्षण का आदेश दे दिया था। मई 2022 में सर्वे पूरा हुआ था. इसी दौरान वजू वाली जगहर पर कथित रूप से एक शिवलिंग मिला था। हालांकि मुस्लिम पक्ष का कहना है कि वह फव्वारा है।

कथित ‘शिवलिंग’ की कार्बन डेटिंग पर रोक॥

ज्ञानवापी की शिवलिंग संरचना की कार्बन डेटिंग पर सुप्रीम कोर्ट ने 19 मई को अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 12 मई को मॉर्डन तकनीक का इस्तेमाल कर ज्ञानवापी मस्जिद में मिली संरचना की उम्र निर्धारित करने का आदेश दिया था, जिसके ‘शिवलिंग’ होने का दावा किया जा रहा है।

इसके साथ ही हाई कोर्ट ने वाराणसी जिला अदालत के उस आदेश को रद्द कर दिया था, जिसके तहत मई 2022 में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में किए गए सर्वे के दौरान मिली संरचना की कार्बन डेटिंग सहित अन्य वैज्ञानिक परीक्षण कराने के अनुरोध वाली याचिका खारिज कर दी गई थी।

सुप्रीम कोर्ट में बीते शुक्रवार को हिंदू याचिकाकर्ताओं के वकील विष्णु जैन ने तर्क दिया कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश ने यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि संरचना को कोई नुकसान न हो। एसजी ने कहा कि हमें यह भी पता लगाने की जरूरत है कि क्या कार्बन डेटिंग के बजाय कुछ अन्य वैज्ञानिक परीक्षण किए जा सकते हैं। वहीं, CJI ने कहा कि हम एएसआई से रिपोर्ट बुलाने के खिलाफ नहीं हैं, सरकार को विचार करने दें कि विकल्प और मुद्दे क्या हैं। उन्होंने कहा कि, इन मामलों में व्यक्ति को सावधानी से चलना होता है।

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