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कर्नाटक में रद्द होगा धर्मांतरण विरोधी कानून, किताबों से हटेंगे हेडगेवार-सावरकर से जुड़े चैप्टर।

Karnataka govt decides to remove chapters on RSS founder and Savarkar in school textbooks.

कर्नाटक कैबिनेट ने धर्मांतरण रोधी कानून को रद्द करने का फैसला किया है। इस कानून को राज्य की पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार ने लागू किया था। इस कानून को रद्द करने के लिए सरकार विधानसभा के आगामी सत्र में प्रस्ताव लेकर आएगी। कर्नाटक विधानसभा सत्र तीन जुलाई से शुरू हो रहा है।

कानून एवं संसदीय मामलों के मंत्री एचके पाटिल ने कैबिनेट बैठक के बाद कहा कि कैबिनेट में धर्मांतरण विरोधी कानून पर चर्चा हुई। हमने 2022 में बीजेपी सरकार द्वारा लाए गए इस बिल को रद्द करने का फैसला किया है।

कर्नाटक धर्मांतरण विरोधी कानून 2022 को कांग्रेस के विरोध के बावजूद बीजेपी सरकार ने लागू किया था। इस कानून के तहत एक धर्म से दूसरे धर्म में जबरन, किसी के प्रभाव में या बहकाकर धर्म परिवर्तन कराना गैरकानूनी बताया गया है. इसके तहत तीन से पांच साल की कैद और 25000 रुपये जुर्माने का प्रावधान है।

इस कानून के तहत धर्म परिवर्तन कराने वाले शख्स पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाने का भी प्रावधान है। सामूहिक तौर पर धर्म परिवर्तन के लिए तीन से दस साल तक की कैद और एक लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान है। यह भी कहा गया कि कोई भी शादी जो धर्म परिवर्तन के इरादे से ही की गई है, उसे फैमिली कोर्ट द्वारा अवैध मान जाएगा. इसे गैरजमानती अपराध बताया गया है।

हेडगेवार, सावरकर से जुड़े चैप्टर हटेंगे॥

कर्नाटक कैबिनेट की बैठक में सर्वसम्मति से कक्षा छह से दस तक की कक्षाओं में कन्नड़ और सामाजिक विज्ञान की टेक्स्टबुकों में संशोधन को मंजूरी दी गई है। मौजूदा एकेडमिक सत्र में आरएसएस संस्थापक हेडगेवार और हिंदूवादी नेता सावरकर के अध्यायों को हटाया जाएगा।

इसके साथ ही समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले, इंदिरा गांधी को लिखे नेहरू के पत्रों और बीआर आंबेडकर पर लिखी गई कविताओं से जुड़े अध्यायों को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा।

कर्नाटक के शिक्षा मंत्री मधु बंगारप्पा का कहना है कि पाठ्यक्रम से हेडगेवार के अध्यायों को हटाया जा रहा है। पिछली सरकार ने पिछले साल पाठ्यक्रमों में जो भी बदलाव किए थे। हमने उन्हें बदल दिया है और पिछले साल के पाठ्यक्रम को रिस्टोर किया है।

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