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एक्शन में आए स्पीकर, शिंदे के 40 और ठाकरे गुट के 14 MLA को नोटिस जारी, अयोग्यता पर मांगा जवाब।

Notices seeking reply on disqualification issued to 40 MLAs of Shinde-led Sena, 14 of Uddhav camp; Speaker.

महाराष्ट्र। देश की आर्थिक राजधानी महाराष्ट्र में बीते कुछ दिनों से जारी सियासी उथल-पुथल के बीच महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष ने शिंदे और उद्धव ठाकरे गुट के विधायकों को नोटिस जारी किया है। विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने शनिवार को बताया कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के 40 विधायकों और उद्धव ठाकरे गुट के 14 विधायकों को नोटिस जारी कर विधानसभा सदस्यता से अयोग्यता पर जवाब मांगा गया है। विधायकों को जवाब देने के लिए सात दिन का समय दिया गया है। यह घटनाक्रम विधानसभा अध्यक्ष नारवेकर को चुनाव आयोग से शिवसेना के संविधान की एक प्रति मिलने के एक दिन बाद आया है, जिसमें यह जानकारी दी गई थी कि सीएम शिंदे सहित 16 शिवसेना विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर सुनवाई जल्द ही शुरू होगी।

11 मई को शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाया कि एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने रहेंगे। अदालत ने कहा कि वह उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन सरकार को बहाल नहीं कर सकती, क्योंकि शिंदे के विद्रोह के मद्देनजर शिवसेना नेता ने शक्ति परीक्षण का सामना किए बिना इस्तीफा देने का फैसला किया। नोटिस मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और शिवसेना (यूबीटी) के नेता आदित्य ठाकरे सहित कुल 54 विधायकों को जारी किया गया है। हालांकि नोटिस शिवसेना (यूबीटी) विधायक रुतुजा लाटके को नहीं जारी किया गया है जो पिछले साल शिवसेना में टूट के बाद विधायक चुनी गई थीं। शिवसेना विधायक एवं प्रवक्ता संजय शिरसाट ने कहा कि उन्हें विधानसभा से अब तक कोई नो नहीं मिला है।

इसके साथ ही यह दावा किया गया है कि शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने भी आदित्य ठाकरे सहित उद्धव गुट के 14 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिका दायर की है। इस सप्ताह की शुरुआत में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने उच्चतम न्यायालय का रुख कर उससे विधानसभा अध्यक्ष को अयोग्यता याचिकाओं पर शीघ्र सुनवाई करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था। नार्वेकर पर हमला करते हुए शिवसेना (यूबीटी) के नेता अरविंद सावंत ने कहा, ‘‘विधानसभा अध्यक्ष ने पिछले दो महीने में (अयोग्यता याचिकाओं पर) कुछ नहीं किया, इसी वजह से हमने उच्चतम न्यायालय का रुख किया जिसके कारण ही उन्होंने ये नोटिस जारी किया है और सात दिन के भीतर जवाब मांगा है।’’

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