Health

दोबारा कैंसर होने का जोखिम होगा कम, टाटा इंस्टिट्यूट के डॉक्टर्स ने खोजा इलाज।

Tata Institute Claims Success In Cancer Treatment.

नई दिल्ली। कैंसर एक जानलेवा बीमारी है। इसके ठोस इलाज के लिए दुनिया भर में रिसर्च किए जा रहे हैं। इसी क्रम में मुंबई के डॉक्टरों ने एक खास थेरेपी विकसित की है। दावा है कि ये कैंसर के खिलाफ कारगार साबित होगी। टाटा मेमोरियल सेंटर के डॉक्टरों का कहना है कि उन्होंने ‘मेटास्टेसाइज़ कैंसर’ (Metastatic Cancer) के जोखिम को कम करने के लिए ‘न्यूट्रास्युटिकल थेरेपी’ (Nutraceutical Therapy) विकसित की है, जिसमें रेसवेरेट्रॉल और कॉपर की संयुक्त प्रो-ऑक्सिडेंट टैबलेट के इस्तेमाल से कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है।

मुंबई के डॉक्टरों ने खोजा इलाज, कम होगा कैंसर का खतरा॥

टाटा अस्पताल के खारघर स्थित एडवांस सेंटर फॉर ट्रीटमेंट, रिसर्च एंड एजुकेशन इन कैंसर (ACTREC) अस्पताल के डॉक्टर इंद्रनील मित्रा ने इस रिसर्च के बारे में जानकारी देते हुए कहा, ”हमने चूहों पर शोध किया और उनके शरीर में इंसान के कैंसर सेल डाले। कुछ दिनों बाद हमने देखा कि चूहों में ट्यूमर का निर्माण हुआ। जिसके बाद हमने रेडिएशन, कीमो और सर्जरी के जरिए उनका इलाज किया। इससे कैंसर सेल्स नष्ट होकर छोटे-छोटे टुकड़े में टूट तो गए, लेकिन शरीर के दूसरे हिस्से में पहुंच गए। इससे दूसरी बार कैंसर होने होने का खतरा बढ़ गया।”

दूसरी बार कैंसर होने से कैसे रोकेगी..?

डॉक्टर के मुताबिक इस समस्या के हल के रूप में चूहों को रेसवेरेट्रॉल और कॉपर (तांबा) की संयुक्त प्रो-ऑक्सिडेंट टैबलेट दी। जिसके अच्छे परिणाम आए हैं। शोध में दावा किया गया कि यह टेबलेट क्रोमोसोम को बेअसर करने में असरदार रही। अब बस इस टैबलेट को फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया से मंजूरी का इंतजार है। डॉक्टरों के मुताबिक कॉपर-रेसवेरेट्रॉल संयुक्त प्रो-ऑक्सिडेंट एक घरेलू नुस्खा है। जोकि कैंसर के इलाज को बेहतर बनाने और इलाज के दौरान होने वाले दुष्परिणामों को कम करने में भी मददगार साबित होता है।

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