जयपुर। देश में वर्ष 1993 में पांच बड़े शहरों में हुए सीरियल ब्लास्ट के मामले में अजमेर टाडा कोर्ट ने गुरुवार को अपना बड़ा फैसला सुलाया। गुरुवार 29 फरवरी 2024 को आरोपी अब्दुल करीम टुंडा को कोर्ट ने बरी कर दिया है। दो आतंकवादी इरफान और हमीदुद्दीन को इसी कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई है। इधर, टुंडा के बरी होने के बाद अभियोजन पक्ष मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगा। इस दौरान भारी पुलिस बल के बीच तीनों आरोपी टुंडा, इरफान और हमीदुद्दीन को सुबह 11 बजे कड़ी सुरक्षा के बीच अजमेर की टाडा कोर्ट में पेश किया गया।
लखनऊ, कानपुर, हैदराबाद, सूरत और मुंबई में किए थे बम ब्लास्ट॥
तीनों आरोपी टुंडा, इरफान और हमीदुद्दीन पर 6 दिसंबर 1993 को लखनऊ, कानपुर, हैदराबाद, सूरत और मुंबई की ट्रेनों में सिलसिले वार बम विस्फोट करने का आरोप थे। 20 साल पहले 28 फरवरी 2004 को टाडा कोर्ट ने मामले में 16 अभियुक्तों को उम्र कैद की सजा सुनाई। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने चार आरोपियों को बरी किया, बाकी की सजा बरकरार रखी। जो जयपुर जेल में बंद थे।
टुंडा ने पाकिस्तान में आईएसआई से ट्रेनिंग ली॥
टुंडा के पाकिस्तान में आईएसआई से ट्रेनिंग लेने की बात भी सामने आई। टुंडा के खिलाफ दिल्ली के विभिन्न थानों में 21 और गाजियाबाद में 13 मामलों के अलावा देश के अलग-अलग हिस्सों में कई मामले दर्ज हैं। इसके खिलाफ पहला आपराधिक मामला 1956 में चोरी का दर्ज हुआ था। उस समय इसकी उम्र कम थी। मुंबई के डॉक्टर जलेश अंसारी, नांदेड के आजम गोरी और टुंडा ने तंजीम इस्लाम उर्फ मुसलमीन संगठन बनाकर बाबरी विध्वंस का बदला लेने के लिए 1993 में पांच शहरों में ट्रेनों में बम ब्लास्ट किए थे।
टुंडा पर इंटरपोल का रेड कॉर्नर नोटिस जारी॥
1993 में पांच बड़े शहरों में ट्रेनों में सीरियल धमाके के बाद 1996 में दिल्ली में पुलिस मुख्यालय के सामने बम विस्फोट हुआ। इस मामले में टुंडा पर आरोप लगे। इसको लेकर सुरक्षा एजेंसी इंटरपोल ने उसका रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया। बम बनाते समय टुंडा ने अपने एक हाथ को खो दिया था। इसके कारण ही अब्दुल करीम का नाम टुंडा पड़ा। उस पर 33 आपराधिक मामले दर्ज हैं। 1997- 98 में करीब 40 बम धमाकों में भी टुंडा का नाम शामिल है। पुलिस ने टुंडा को नेपाल बॉर्डर से गिरफ्तार किया था।