लंदन। दवा निर्माता कंपनी एस्ट्राजेनेका ने स्वीकार किया है कि इसकी कोविड-19 वैक्सीन से दुर्लभ टीटीएस सिंड्रोम जैसे साइड इफेक्ट हो सकते हैं, जो जानलेवा है। लंदन स्थित अखबार टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी ने कोर्ट में दिए अपने एक बयान में वैक्सीन से साइड इफेक्ट की बात स्वीकार की है। भारत में भी लोगों को एस्ट्राजेनेका की कोविड-19 वैक्सीन दी गई है। दिग्गज दवा निर्माता कंपनी ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ मिलकर कोरोनावायरस के खिलाफ वैक्सीन विकसित की है। कंपनी एक मुकदमे का सामना कर रही है जिसमें आरोप लगाया गया है कि उसके टीके की वजह से इसे लगवाने वालों में मौत और गंभीर चोट के मामले सामने आए हैं।
कंपनी से 10 करोड़ पाउंड हर्जाने की मांग॥
रिपोर्ट में कहा गया है कि दो बच्चों के पिता जेमी स्कॉट ने पिछले साल कंपनी के ऊपर मुकदमा किया था। उन्होंने खून का थक्का जमने की शिकायत की थी, जिससे वे काम करने में असमर्थ हो गए थे। कथित तौर पर अप्रैल 2021 में वैक्सीन लेने के बाद उन्हें मस्तिष्क में स्थायी चोट लग गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, हाई कोर्ट में वैक्सीन के साइड इफेक्ट के 51 मामले दर्ज किए गए हैं, जिसमें पीड़ितों और परिजनों ने 10 करोड़ पाउंड (लगभग 1000 करोड़ रुपये) तक के अनुमानित हर्जाने की मांग की है।
कंपनी ने कोर्ट में दी जानकारी॥
कंपनी ने पहले वैक्सीन के चलते टीटीएस की संभावना से इनकार किया था। कंपनी ने मई 2023 में स्कॉट के वकीलों से कहा था कि वे नहीं मानते हैं कि टीटीएस सिंड्रोम वैक्सीन के कारण होता है। हालांकि, फरवरी में हाई कोर्ट को सौंपे गए कानूनी दस्तावेजों में एस्ट्राजेनेका ने कहा, “यह माना जाता है कि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन बहुत दु्र्लभ मामलों में टीटीएस का कारण बन सकती है। इसके होने की वजह ज्ञात नहीं है।”
भारत में कोविशील्ड के नाम से लगी वैक्सीन॥
एस्ट्राजेनेका ने भारत सरकार को भी वैक्सीन की सप्लाई की थी। इसके लिए कंपनी ने दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) के साथ भी साझेदारी की थी। सीरम इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर इसने कोविशील्ड नाम से कोविड-19 वैक्सीन निकाली थी। भारत में लोगों को कोविशील्ड नाम से ही टीका दिया गया था।