पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में सोमवार को बड़ा ट्रेन हादसा हुआ है। यहां खड़ी कंचनजंगा एक्सप्रेस (13174) हादसे का शिकार हो गई। जिसे पीछे से मालगाड़ी ने टक्कर मारी है। ट्रेन अगरतला से सियालदाह जा रही थी। हादसे में नौ लोगों की मौत हो गई है जबकि 41 लोग घायल बताए जा रहे हैं। यह हादसा सुबह 8.55 बजे हुआ। जो तस्वीरें सामने आई हैं उसमें साफ दिख रहा है कि टक्कर के बाद मालगाड़ी का कोच दूसरे कोच के ऊपर चढ़ गया। दो बोगियां एक दूसरे के ऊपर चढ़ गईं जबकि तीन बोगियां डिरेल हो गईं। जो कोच आपस में बुरी तरह टकराकर बुरी तरह फंस गए हैं उन्हें गैस कटर की मदद से काटा जा रहा है।
राज्य और केंद्र की कई एजेंसियां स्थानीय लोगों के साथ मिलकर उन यात्रियों को बचाने के लिए युद्ध स्तर पर काम कर रही हैं जो अभी भी अंदर फंसे हो सकते हैं। एक वरिष्ठ रेलवे अधिकारी ने बताया कि मृतकों में मालगाड़ी का पायलट और सह-पायलट भी शामिल है।
हादसे के कुछ घंटे के बाद रेलवे बोर्ड की चेयरमैन और CEO जया वर्मा सिन्हा ने बताया कि पश्चिम बंगाल में सियालदह जा रही कंचनजंघा एक्सप्रेस से टकराकर कम से कम आठ लोगों की जान लेने वाली मालगाड़ी रुकने के “सिग्नल की अनदेखी” करती प्रतीत होती है। उन्होंने कहा कि प्रथम दृष्टया, यह मानवीय भूल प्रतीत होती है, लेकिन जांच के बाद हमें और अधिक पता चलेगा, ”सिन्हा ने संवाददाताओं से कहा। “दुर्भाग्य से, चालक (मालगाड़ी का) भी दुर्घटना में मारा गया… इसलिए हमारे पास यह जानने का कोई प्रामाणिक तरीका नहीं है कि वास्तव में क्या हुआ था। स्थिति से हम जो कुछ भी समझ सकते हैं, ऐसा लगता है कि सिग्नल की उपेक्षा की गई थी।
वहीं, ईस्टर्न रेलवे के CPRo कौशिक मित्रा ने नॉर्थ-ईस्ट फ्रंटियर रेलवे के हवाले से बताया कि 2 लोको पायलट और एक गार्ड समेत 8 लोगों की मौत हुई है।
पुलिस ने बताया कि दुर्घटना में घायल हुए लोगों को उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल ले जाया जा रहा है। अधिकारी ने बताया कि उत्तर बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन से लगभग 30 किलोमीटर दूर रंगापानी स्टेशन के पास ही मालगाड़ी के इंजन द्वारा पीछे से टक्कर मारे जाने के कारण कंचनजंघा एक्सप्रेस ट्रेन के तीन डब्बे पटरी से उतर गए।
न्यूज एजेंसी PTI ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि रेलवे के आंतरिक दस्तावेज में इस बात का खुलासा हुआ है कि ऑटोमेटिक सिग्नल खराब था, इस वजह सेमालगाड़ी का ड्राइवर आ्गे बढ़ गया। रेड सिग्नल काम हीनहीं कर रहे थे। रानीपात्रा के स्टेशन मास्टर ने मालगाड़ीके ड्राइवर को जारी किए दस्तावेज TA 912 में उसेसभी रेड सिग्नल पार करने की मंजूरी थी।
इससे पहले रेलवे बोर्ड की चेयरमैन जया वर्मा सिन्हाके मुताबिक, मालगाड़ी के लोको पायलट ने सिग्नलओवरशूट किया। जिसके कारण वह कंजनजंगा एक्सप्रेस से टकरा गई। इस हादसे में गार्ड का डिब्बा,जनरल डिब्बा क्षतिग्रस्त हुआ है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर पोस्ट में कहा, पश्चिम बंगाल में रेल दुर्घटना दुखद है। जिन लोगों ने इस हादसे में अपने प्रियजनों को खो दिया है, उनके प्रति मेरी संवेदना है। उन्होंने आगे कहा, मैं प्रार्थना करता हूं कि हादसे में घायल हुए लोग जल्द से जल्द ठीक हो जाएं। मैंने अधिकारियों से बात की और स्थिति का जायजा लिया। प्रभावितों का सहायता के लिए बचाव अभियान जारी है।
दुर्घटनास्थल का रेल मंत्री ने किया दौरा॥
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दार्जिलिंग जिले में कंचनजंगा एक्सप्रेस ट्रेन दुर्घटनास्थल का दौरा किया। उन्होंने कहा कि अभी हमारा ध्यान बहाली पर है। यह मुख्य लाइन है। रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा हो चुका है। यह समय राजनीति का नहीं है। मैं घायलों से भी मिलूंगा। रेल मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि नौ लोगों को गंभीर चोटें आईं और 32 को सामान्य या मामूली चोटें आईं। “अप लाइन” को साफ़ कर दिया गया है और ट्रेन परिचालन शुरू हो गया है, इसमें कहा गया है कि “डाउन लाइन” को भी जल्द ही साफ़ कर दिया जाएगा। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि रेलवे सुरक्षा आयोग गहन जांच करेगा। बचाव अभियान समाप्त हो गया है और अब ध्यान बहाली पर है, यह मुख्य लाइन है। हम इस दुर्घटना के पीछे के कारण की पहचान करेंगे और भविष्य के लिए उचित निवारक उपाय करेंगे।
वहीं, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि उन्हें (रेल मंत्रालय) यात्री सुविधाओं की परवाह नहीं है। उन्हें रेलवे अधिकारियों, रेलवे इंजीनियरों, रेलवे तकनीकी कर्मचारियों और श्रमिकों की भी परवाह नहीं है। वे भी संकट में हैं। उनकी पुरानी पेंशन वापस ले ली गई है। मैं पूरी तरह से रेलवे कर्मचारियों और रेलवे अधिकारियों के साथ हूं। वे अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं।
सरकार पर हमला करते हुए ममता ने कहा कि लेकिन इस सरकार को सिर्फ चुनाव की चिंता है। हैकिंग के लिए कैसे जाना है, हेरफेर के लिए कैसे जाना है, चुनाव में धांधली के लिए कैसे जाना है… मुझे लगता है कि उन्हें शासन के लिए अधिक समय देना चाहिए, न कि बयानबाजी के लिए।
फिर चर्चा में रेलवे का कवच यंत्र॥
भारतीय रेलवे ने मानव त्रुटि के कारण होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए ‘कवच’ (ट्रेन टक्कर बचाव प्रणाली) नामक एक स्वदेशी स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली विकसित की है। भारतीय रेलवे ने इसे RDSO (रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन) के जरिए विकसित किया है। इस पर 2012 में काम शुरू हुआ था। इस सिस्टम को विकसित करने के पीछे रेलवे का उद्देश्य यही था कि ट्रेनों के एक्सीडेंट को रोका जा सके। इसका पहला ट्रायल साल 2016 में किया गया था। रेलवे के मुताबिक यह सबसे सस्ता ऑटोमैटिक ट्रेन टक्कर प्रोटेक्शन सिस्टम है। प्रौद्योगिकी सुरक्षा अखंडता स्तर 4 (एसआईएल-4) प्रमाणित है, जो उच्चतम प्रमाणीकरण स्तर है। इसका अर्थ है कि 10,000 में कवच द्वारा केवल एक त्रुटि की संभावना है।
कवच उच्च आवृत्ति रेडियो संचार का उपयोग करता है और टक्करों को रोकने के लिए निरंतर अद्यतन के सिद्धांत पर काम करता है। अगर ड्राइवर इसे नियंत्रित करने में विफल रहता है तो सिस्टम ट्रेन के ब्रेक को स्वचालित रूप से सक्रिय कर देता है। कवच सिस्टम से लैस दो लोकोमोटिव के बीच टकराव से बचने के लिए ब्रेक भी लगाता है। जैसे ही कोई लोको पायलट सिग्नल को जंप करता है तो कवच एक्टिव हो जाता है। यह लोको पायलट को अलर्ट करना शुरू कर देता है। इसके बाद यह स्वत: ही ब्रेक्स पर कंट्रोल करना शुरू कर देता है। सिस्टम को जैसे ही पता चलता है कि ट्रैक पर दूसरी ट्रेन आ रही है तो यह पहली ट्रेन की मूवमेंट को पूरी तरीके से रोक देता है। इसकी सबसे खास बात यह भी है कि अगर कोई ट्रेन सिगनल जंप करती है तो 5 किलोमीटर के दायरे में मौजूद सभी ट्रेनों की मूवमेंट रुक जाएगी। फिलहाल यह सभी रूटों पर इंस्टॉल नहीं किया गया है।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 29 मार्च को कवच के तहत लाए गए रूटों के बारे में लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में जानकारी दी थी। मार्च तक, दक्षिण मध्य रेलवे में 1455 किमी (रूट किलोमीटर) नेटवर्क मार्ग को कवच के तहत लाया गया है, जिसमें से 576 किमी महाराष्ट्र राज्य यानी मनमाड (छोड़कर) – धामाबाद और उदगीर – परभणी खंड के अंतर्गत आता है। यह भारतीय रेलवे के कुल नेटवर्क का लगभग 2 प्रतिशत है। मार्च 2024 की लक्षित पूर्णता तिथि के साथ कवच के रोलआउट की योजना नई दिल्ली-हावड़ा और नई दिल्ली-मुंबई खंडों पर की गई है। कवच के विकास पर कुल खर्च 16.88 करोड़ रुपये है।
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