अयोध्या। अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन को अभी 6 महीने भी नहीं बीते हैं, और पहली ही बारिश में राम मंदिर की छत टपकने लगी है। राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने इसकी पुष्टि की है। इसी साल 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी। अभी भी राम मंदिर के निर्माण का कार्य चल रहा है। यह समस्या इसलिए भी गंभीर है क्योंकि छत मंदिर के किसी और दुसरे हिस्से की नहीं बल्कि गर्भ गृह की टपक रही हैं। जहां रामलला की भव्य मूर्ति विराजमान है।
राम मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र मिश्र ने बीते सोमवार को कहा कि, ‘गर्भगृह में, जहां रामलला विराजमान हैं, वहां भी पानी भर चुका है। ऐसे में कहीं बिजली का करंट न उतर आए इसलिए सुबह 4 बजे और 6 बजे होने वाली आरती टॉर्च की रोशनी में करनी पड़ी। अगर एक-दो दिन में इंतजाम नहीं हुआ, तो दर्शन और पूजन की व्यवस्था बंद करनी पड़ेगी।’ अब यदि इस स्थिति को तुरंत ठीक नहीं किया गया तो आने वाले बारिश के मौसम में रामलला की पूजा-अर्चना करने तक में भी मुश्किल आ सकती है।
इस बीच निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने छत से पानी टपकने की वजह बताई है। नृपेंद्र मिश्र ने कहा, ‘मैं अयोध्या में ही हूं। मैंने पहली मंजिल से बारिश का पानी गिरते हुए देखा है, क्योंकि गुरु मंडप खुला है। जब इसके शिखर का काम पूरा हो जाएगा, तो ये भी ढक जाएगा। फिलहाल ऐसे हालात में ये होना ही है।’
दरअसल मंदिर की दूसरी मंजिल पर निर्माण कार्य हो रहा है जिससे इसकी छत पूरी तरह खुली हुई है। इसलिए वहां पानी भर गया और छत से नीचे भी टपका। इस तरह खुले फर्श से पानी टपक सकता है। लेकिन अगले महीने के अंत तक दूसरी मंजिल की छत भी बंद हो जाएगी। इससे यह समस्या नहीं होगी।
मंदिर की डिजाइन पर भी उठे सवाल॥
बारिश में राम मंदिर की छत टपकने के बाद फिलहाल गर्भगृह में भरे हुए पानी को हाथों से या फिर मैन्यूअली ही निकाला जा रहा है। ऐसे में पानी की निकासी की समुचीत व्यवस्था ना होने से इसे लेकर मंदिर की डिजाइन पर भी सवाल उठने पर नृपेंन्द्र मिश्र ने कहा कि गर्भगृह में जल निकासी नहीं हे क्योंकि गर्भगृह के पानी को मैन्यूअली ही अवशोषित किया जाता है। बाकी सभी मंडपों में ढलान भी है और निकासी की व्यवस्था भी है।
बता दें कि राम मंदिर में अभी सिर्फ एक फ्लोर ही तैयार है। इसी पर कुल 1800 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। मुख्य शिखर, परकोटा, 5 छोटे शिखर 13 मंदिर, ट्रस्ट के ऑफिस, वीवीआईपी वेटिंग एरिया, यात्री सुविधा केंद्र, म्यूजियम, लाइब्रेरी और शोध संस्थान समेत और भी कई काम बाकी हैं। मंदिर के डिजाइन और कंस्ट्रक्शन देखना वालों को कहना है कि बचे काम में 2000 करोड़ रुपए से ज्यादा भी लग सकते हैं।
रामपथ सहित कई जगहों पर धंसी सड़कें॥
कुछ घंटों की बारिश में शहर में पांच प्रमुख स्थानों पर सड़कें धंस गईं। इनमें रामपथ के तीन स्थानों पर ऐसा हुआ। इसके अलावा चौक के पास रिकाबंगज मार्ग और पुलिस लाइन के सामने वाली सड़क पर भी गड्ढे हो गए। जबकि पुष्पराज चौराहा-फतेहगंज मार्ग का निर्माण कुछ समय पहले ही कराया गया था। रामपथ के निर्माण कार्य की गुणवत्ता भी एक बार फिर सवालों के घेरे में है।
शनिवार रात हुई मूसलाधार बारिश में शहर की सड़कों की दुर्दशा हो गई। पुष्पराज चौराहा से फतेहगंज जाने वाला मार्ग पुलिस लाइन गेट के सामने बड़ी गोलाई में धंस गया। कोई हादसा न होने पाए, इसके लिए स्थानीय लोगों ने आसपास ईंट रखकर और सड़क के गड्ढे में पेड़ की डाल रखकर सुरक्षा घेरा बना दिया। इसी तरह चौक घंटाघर के पास रिकाबगंज मार्ग भी धंस गया। जिस समय सड़क धंसी, उसी वक्त उधर से एक कार गुजर रही थी। कार सड़क पर हुए गड्ढे में फंस गई।
चौक-रिकाबगंज मार्ग पर जिस स्थान पर सड़क धंसी, इसी जगह पर अभी कुछ दिन पहले अमृत योजना के तहत सीवर पाइप लाइन बिछाने के लिए गड्ढा खोदा गया था। सीवर लाइन बिछाने का काम पूरा होने के बाद सिर्फ गिट्टी डालकर सड़क को अस्थायी रूप से पाट दिया गया। ठीक ढंग से मरम्मत नहीं कराई गई। इसी का नतीजा रहा कि बारिश में यहां पर सड़क धंस गई। गड्ढे में फंसी कार को स्थानीय लोगों ने धक्का देकर बाहर निकाला। हालांकि कार क्षतिग्रस्त हो गई। मौके पर मौजूद नितिन कुमार ने बताया कि मरम्मत का काम मानक के अनुरूप नहीं किया गया था।
उधर, रामपथ भी बारिश को न झेल सका। इस पथ पर मुकुट कांप्लेक्स के सामने, जिला अस्पताल के पास और रिकाबगंज चौराहा पर सड़क धंस गई। रामपथ इसके पहले भी बिना बारिश के कई स्थानों पर धंस चुका है। ऐसे में इसके निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल उठते रहे हैं। अब एक बार फिर प्री मानसून की बारिश में इसके धंसने का मामला सामने आया है।
इस संबंध में लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता ध्रुव अग्रवाल का कहना है कि कुछ जगहों पर सड़क को नुकसान पहुंचने की जानकारी मिली है। मौके पर विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों को भेजकर मरम्मत का काम शुरू करा दिया गया है।