लोकसभा अध्यक्ष के पद को लेकर BJP के नेतृत्व वाले NDA और विपक्ष के इंडिया ब्लॉक के बीच आम सहमति नहीं बन पाई है। INDIA ब्लॉक और सरकार के बीच लोकसभा के डिप्टी स्पीकर सहमति नहीं बनने की वजह से दोनों ने ही अपनी-अपनी तरफ से लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार उतार दिए हैं। स्पीकर पद के लिए कल, मतलब 26 जून को 11 बजे मतदान किया जाएगा।
NDA सरकार की तरफ से ओम बिरला ने लोकसभा स्पीकर के लिए नामांकन दाखिल किया है, जबकि कांग्रेस के 8 बार के सांसद कोडिकुन्निल सुरेश को INDIA ब्लॉक की तरफ से स्पीकर का उम्मीदवार चुना गया है, के सुरेश ने भी नामांकन दाखिल कर दिया है।
इससे पहले एनडीए की तरफ से स्पीकर चुनाव के लिए आम सहमति बनाने की कोशिश की गई और बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने इंडिया ब्लॉक के नेताओं से बातचीत की। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने अलग-अलग नेताओं से मुलाकात की और फोन पर बातचीत की। सूत्रों का कहना था कि स्पीकर के नाम पर विपक्षी दलों के साथ सहमति बनती तो डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष दिया जा सकता है। हालांकि, विपक्ष का कहना है कि डिप्टी स्पीकर पद नहीं दिया जा रहा था, इसलिए बात बिगड़ गई।
इससे पहले राजनाथ सिंह के साथ मीटिंग में कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि कल आपने कहा था कि हम डिप्टी स्पीकर को लेकर आपको बताएंगे। लेकिन अभी तक आपने बताया नहीं है। दरअसल, स्पीकर के नॉमिनेशन पेपर पर साइन करने के लिए राजनाथ सिंह ने केसी वेणुगोपाल को बुलाया था। डीएमके नेता टीआर बालू भी राजनाथ से मिलने पहुंचे थे।
बता दें ओम बिरला राजस्थान के कोटा से सांसद हैं। इससे पहले वे 17वीं लोकसभा में 2019 से 2024 तक भी लोकसभा स्पीकर थे। जबकि स्पीकर पद के लिए विपक्ष के प्रत्याशी के सुरेश केरल के मवेलीकारा से सांसद हैं। वे 8 बार के सांसद हैं। फिलहाल वे संसद में सबसे सीनियर सांसद हैं।
आजाद भारत में पहली बार है, जब चुनाव के ठीक बाद लोकसभा स्पीकर की नियुक्ति के दौरान चुनाव होने जा रहे हैं। आजादी से पहले 1946 में लोकसभा स्पीकर के लिए चुनाव हुए थे। अब तक जितने भी स्पीकर हुए हैं, वे सत्ताधारी पार्टी के प्रत्याशी रहे हैं और उनके नाम पर सत्ता पक्ष और विपक्ष में आम सहमति बनी।
हालांकि 1976 में एक मौका ऐसा आया था, जब स्पीकर पद के लिए चुनाव हुए थे। लेकिन तब ये आम चुनाव के बाद का दौर नहीं था। इमरजेंसी के दौर में 1976 में तत्कालीन स्पीकर को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपने कैबिनेट में शामिल कर लिया। इसके बाद इंदिरा की पार्टी कांग्रेस ने बलिराम भगत को स्पीकर पद के लिए प्रत्याशी बनाया। लेकिन इसके जवाब में जनसंघ ने जगन्नाथराव को मैदान में उतारा। हालांकि चुनाव में उनकी हार हुई।