नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष होंगे। प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब को कांग्रेस की ओर से पत्र लिखकर इसकी सूचना दे दी गई है। ‘इंडिया’ गठबंधन के घटक दलों के नेताओं की बैठक में राहुल गांधी को लोकसभा में विपक्ष का नेता बनाए जाने का फैसला लिया गया। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद राहुल गांधी को अब कैबिनेट रैंक का दर्जा मिलेगा।
दरअसल लोकसभा चुनाव के परिणाम आन के बाद से ही कांग्रेस नेताओं की ओर से लगातार राहुल गांधी को नेता प्रतिपक्ष बनाने की मांग उठ रही थी। कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में इसको लेकर प्रस्ताव भी पारित किया गया था। इसके बाद राहुल गांधी ने इस पर फैसला लेने को लेकर पार्टी से कुछ वक्त भी मांगा था।
राहुल गांधी इस बार केरल के वायनाड और उत्तर प्रदेश के रायबरेली लोकसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए थे, लेकिन उन्होंने संसद में रायबरेली का प्रतिनिधित्व करने का फैसला किया और वायनाड सीट छोड़ दी। उन्होंने मंगलवार को लोकसभा सदस्यता की शपथ ली है।
बता दें कि, लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद 8 जून पहली बार कांग्रेस वर्किंग कमिटी (सीडब्ल्यूसी) की बैठक हुई थी। इस बैठक में राहुल गांधी को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने का प्रस्ताव पारित हुवा था। दिल्ली के अशोका होटल में 3 घंटे चली सीडब्ल्यूसी की बैठक पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा-जहां-जहां से राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा और भारत जोड़ो न्याय यात्रा गुजरी, वहां- वहां पार्टी की सीटें भी बढ़ी हैं। खड़गे ने लोकसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शनके लिए सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी के अलावा पार्टी के हर एक नेता और कार्यकर्ता को बधाई दी।
कांग्रेस वर्किंग कमिटी (सीडब्ल्यूसी) बैठक में कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी, राहुल और प्रियंका के अलावा कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष और नवनि्वाचित सांसद शामिल हुए थे। बैठक में लोकसभा में जीती और हारी हुई सीटों पर भी चर्चा हुई थी।
कांग्रेस वर्किंग कमिटी (सीडब्ल्यूसी) की बैठक बाद कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा, कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) ने सर्वसम्मति से राहुल गांधी से लोकसभा में विपक्ष के नेता का पद संभालने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा, राहुल गांधी संसद के अंदर इस अभियान का नेतृत्व करने के लिए सबसे उपयुक्त व्यक्ति हैं। हालाकि लोकसभा में ये पद पिछले 10 वर्षों से खाली हैं।
कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा, राहुल गांधी ने सीडब्ल्यूसी से कहा कि वह बहुत जल्द लोकसभा में विपक्ष का नेता बनने पर फैसला लेंगे। यह पूछे जाने पर कि राहुल गांधी कौन सी सीट (रायबरेली या वायनाड) रखेंगे, उन्होंने कहा, यह फैसला 17 तारीख से पहले लिया जाना है और यह 3-4 दिनों में आ जाएगा।
वही कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने कहा, जब भी कांग्रेस पार्टी ने राहुल गांधी से कुछ अपेक्षा की है तो उन्होंने पार्टी की ख्वाहिश पूरी की है। आज कांग्रेस पार्टी उनसे गुजारिश करती है कि वो देश की आवाज सदन में उठाएं। कांग्रेस की विजयी उम्मीदवार कुमारी शैलजा ने कहा, सबकी इच्छा थी कि राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष बने। इसमें सभी की सहमति थी।
कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा, अब कांग्रेस पार्टी का पुनरुद्धार शुरू हो गया है। यह CWC की भावना है। नवनिर्वाचित कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा, देश का जो जनादेश आया है उसमें भाजपा को संख्या बल भले मिला हो लेकिन नैतिक बल देशवासियों ने विपक्ष को देने का काम किया है। देश की भावना आज विपक्ष के साथ है। इसके लिए कांग्रेस का नेतृत्व विशेष रूप से बधाई का पात्र है। राहुल गांधी ने जिस रूप से निर्भीकता से हर वर्ग की लड़ाई लड़ी मैं समझता हूं वे बधाई के पात्र हैं। हम सबने आग्रह किया कि राहुल गांधी नेता विपक्ष की जिम्मेदारी लें।
पिछले 10 साल से नेता प्रतिपक्ष का पद था खाली॥
लोकसभा में पिछले 10 साल से नेता प्रतिपक्ष का पद खाली था। 2014 में कांग्रेस को 44 सीटें और 2019 में 52 सीटें मिली थीं। भाजपा के बाद सबसे ज्यादा सीटें कांग्रेस को मिली थीं। फिर भी कांग्रेस को नेता प्रतिपक्षकी कुर्सी नहीं मिली थी।
दरअसल, नेता प्रतिपक्ष के पद के लिए किसी भी पार्टी के पास लोकसभा की कूल सीटों का 10 प्रतिशत सीटें होना चाहिए। यानी 543 सीटों में से कांग्रेस को इसके लिए 54 सांसदों की जरूरत होती है। कांग्रेस ने इस बार अपने दम पर 99 सीटें हासिल की हैं।
2014 में विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी होने के बाद भी उस वक्त पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने नेता प्रतिपक्ष का दर्जा देने से इनकार कर दिया था। तब से लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद खाली है।
2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन थोड़ा बेहतर रहा, लेकिन तब भी पार्टी को 52 सीटें ही मिली जो 10 प्रतिशत से कम थी।
बता दें कि, लोकसभा चुनाव 2024 में एनडीए को 292 सीटें मिली हैं, जबकि इंडिया गठबंधन ने 234 सीटें जीती हालाकि बीजेपी को 240 सीटों के साथ सबसे अधिक सीटें जीतने वाली सबसे बड़ी पार्टी बनी। इसके बावजूद भारतीय जनता पार्टी बहुमत के आंकड़े से 32 सीट पीछे रह गई। जबकि कांग्रेस को केवल 99 सीटें ही मिलीं।