नई दिल्ली। दिल्ली के कथित शराब घोटाले के मामले में तिहाड़ जेल में बंद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आज एक और बड़ा झटका लगा है। अरविंद केजरीवाल को सीबीआई ने बुधवार को गिरफ्तार कर लिया। केजरीवाल की गिरफ्तारी दिल्ली शराब नीति मामले में हुई है। सीबीआई ने केजरीवाल को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया था, जहां जांच एजेंसी ने आम आदमी पार्टी (आप) मुखिया से पूछताछ करने के लिए उनकी कस्टडी की मांग की थी। सीबीआई के अधिकारियों ने मंगलवार (25 जून) शाम तिहाड़ जेल में भी केजरीवाल से पूछताछ की थी। अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी ऐसे समय पर हुई है, जब सुप्रीम कोर्ट में उनकी एक याचिका पर सुनवाई हो रही है। दिल्ली सीएम ने अपनी इस याचिका के जरिए दिल्ली हाईकोर्ट के जमानत आदेश पर रोक लगाने को चुनौती दी है।
राउज एवेन्यू कोर्ट में अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद सुनवाई शुरू हुई। सीबीआई ने केजरीवाल का अरेस्ट मेमो कोर्ट को दे दिया है। सीबीआई अधिकारियों ने कोर्ट को बताया कि हमने केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया है। केजरीवाल से जब मंगलवार रात पूछताछ की गई थी, तभी इस बात का अंदेशा जताया गया था कि उन्हें सीबीआई गिरफ्तार करने वाली है। अभी तक केजरीवाल शराब नीति मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में ईडी की न्यायिक हिरासत में थे।
सीबीआई ने कोर्ट में बताया कि 16 मार्च 2021 को एक शराब कारोबारी से संपर्क किया गया कि केजरीवाल शराब नीति को लेकर मिलना चाहते हैं। 20 मार्च को के कविता और मगुनता रेड्डी की मुलाकात हुई. फिर विजय नायर, आम आदमी पार्टी के कम्युनिकेशन इंचार्ज को बैठक के लिए को ऑर्डिनेट करने के लिए कहा गया। जांच एजेंसी ने बताया कि लॉकडाउन होने के बावजूद प्राइवेट प्लेन से साउथ से एक टीम दिल्ली आई। इसके बाद शराब नीति पर बैठक हुई।
सीबीआई ने आगे बताया कि बुच्चीबाबू ने रिपोर्ट विजय नायर को दी। फिर रिपोर्ट वाली फाइल मनीष सिसोदिया के पास पहुंची। साउथ ग्रुप ने बताया कि दिल्ली की शराब नीति कैसी होनी चाहिए। जांच एजेंसी ने आगे बताया कि उपराज्यपाल के कार्यालय ने शराब नीति को लेकर मंत्रिमंडल की बैठक के लिए जो बात बोली थी, वो नहीं हुई। सीबीआई ने कहा कि हमारे पास पैसे का ट्रेल है। साथ ही पर्याप्त सबूत भी हैं। साउथ ग्रुप के कहने पर ही शराब नीति में बदलाव हुए।
कोर्ट में सीबीआई ने बताया कि अभिषेक बोइनपल्ली ने विजय नायर के जरिए मनीष सिसोदिया को एक रिपोर्ट भेजी। सिसोदिया के सचिव सी अरविंद ने रिपोर्ट टाइप की और इसे उनके कैंप कार्यालय (सीएम) में दिया गया। जीओएम की रिपोर्ट साउथ ग्रुप द्वारा तैयार की गई थी, वो रिपोर्ट एलजी कार्यालय को भेजी गई। जांच एजेंसी ने बताया कि कोविड का समय चल रहा था, जिस वजह से जल्दबाजी में ये काम किया गया। सर्कुलेशन के जरिए हस्ताक्षर लिए गए। कोई भी इंतजार नहीं करना चाहता था।
सीबीआई ने कहा कि जब रिपोर्ट एलजी ऑफिस गई तो उस पर विचार किया गया और 7 सवाल उठाए गए लेकिन उन पर कभी चर्चा नहीं हुई। एलजी ऑफिस से एकमात्र सुझाव यह आया कि इसे मंत्रियों के समूह (जीओएम) के माध्यम से इसे भेजा जाना चाहिए और इस पर विचार नहीं किया गया। जांच एजेंसी ने कहा कि पॉलिसी के लिए सार्वजनिक सुझाव मांगे गए थे और उन सुझावों से छेड़छाड़ की गई। वह मनगढ़ंत थे। हमारे पास इसके लिए पर्याप्त सबूत हैं कि यह आप सदस्य थे जो टिप्पणियां कर रहे थे। जब ऐसा हो रहा था तो कुछ अधिकारी ऐसे थे जो हस्ताक्षर करने को तैयार नहीं थे। जिस अधिकारी ने कहा था कि मैं हस्ताक्षर नहीं करूंगा, उसे बदल दिया गया।
कोर्ट ने कहा कि कोई भी नीति नौकरशाही स्तर से होकर मंत्री के पास जाती है, यह सामान्य प्रक्रिया है। आप कह रहे हैं कि रिपोर्ट मंत्री के पास गई, मंत्री ने टिप्पणी मांगी और उसके बाद कुछ बदलाव पॉलिसी में किया गया।
राउज एवेन्यू कोर्ट ने जब पूछा कि इस मामले की कमान किसके हाथ में है? इस पर सीबीआई ने कहा कि सारा पैसा नकद दिया गया है। हम 44 करोड़ रुपये के बारे में पता लगा पाए हैं और यह भी पता लगा पाए हैं कि यह पैसा गोवा कैसे पहुंचा और इसका इस्तेमाल कैसे किया गया। चनप्रीत सिंह ने चुनाव के लिए गोवा के प्रत्याशियों के लिए और यहां तक कि सीएम के वहां रहने के लिए भी पैसे दिए।
बता दें कि, दिल्ली की एक निचली अदालत ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 20 जून को जमानत दी थी, जिस पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। ईडी ने केजरीवाल की जमानत को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर सुनवाई के बाद अदालत ने बेल पर रोक लगाने का आदेश दिया।