वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय परिसर में सार्वजनिक स्थानों पर होली नहीं खेलने देने का फरमान सुनाकर बीएचयू प्रशासन ने अपनी काफी किरकिरी कराई। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) ने होली खेलने पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है। प्रशासन ने चार दिन पहले यानी 28 फरवरी को आदेश पारित किया था कि कैंपस में हाेली खेलना, हुडदंग मचाना और डीजे पर नाच-गाने प्रतिबंधित है। जिस पर छात्रों ने नाराजगी जताते हुए कैंपस में कपड़ा फाड़ होली खेली थी।
28 फरवरी के मुख्य आरक्षी अधिकारी के आदेश को निरस्त करते हुए प्रशासन ने कहा कि सौहार्दपूर्ण माहौल में छात्र होली खेल सकते हैं। दरअसल सार्वजनिक स्थानों पर होली नहीं खेलने देने के आदेश को छात्रों ने सोशल मीडिया पर इफ्तार से जोड़ते हुए हिंदू धार्मिक मान्यताओं को खत्म करने का आरोप लगाया था। हालांकि यह आदेश अभी महज कागजों तक सीमित है। शरिवार को भी अधिकारी छात्रों को बीएचयू परिसर में होली की धुन पर नाचने गाने और होली खेलने से रोकते दिखे।
चीफ प्रॉक्टर अभिमन्यु सिंह ने एक आदेश जारी करके बीएचयू परिसर के सार्वजनिक स्थानों पर होली खेलने पर रोक लगा दिया था। छात्रों ने इसे तुगलकी फरमान बताया और सोशल मीडिया पर इसे एकता और ताजिया के जुलूस से जोड़ दिया। छात्रों का कहना था कि अगर परिषद में ताजिया का जुलूस निकल सकता है वैसे खुद स्टार की पार्टी दे सकते हैं तो होली खेलने पर प्रतिबंध लगाकर हिंदू धार्मिक मान्यताओं की अवहेलना क्यों कर रहे हैं जिसके बाद चैप्टर के आदेश को आज विश्वविद्यालय प्रशासन ने निरस्त कर दिया।
स्टूडेंट ने वीसी पर निशाना साधा॥
जैसे ही विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपने पुराने आदेश को निरस्त कर होली खेलने की इजाजत दी, छात्रों का एक गुट डीजे की धुन पर नाचते गाते सड़कों पर निकला। लेकिन प्रॉक्टोरियल बोर्ड के सदस्यों ने एक बार फिर से से छात्रों को होली खेलने से रोक दिया। बीएचयू के शोध छात्र पतंजलि पांडे ने कहा है की वीसी सुधीर जैन जब से आए हैं तब से लगातार हिंदू धार्मिक त्यौहार को निशाना बनाया जा रह है। वीसी खुद इफ्तार की दावत देते है परिसर में धड़ल्ले से ताजिया को रास्ता दिया जाता है लेकिन होली खेलने पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है।
कागजी और जमीनी हकीकत में अंतर॥
सोशल मीडिया पर हो रही किरकिरी के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने सार्वजनिक स्थानों पर होली नहीं खेलने के आदेश को निरस्त तो कर दिया। लेकिन वास्तविकता यह है कि अब भी परिसर में हो रहे होली के आयोजनों को सख्ती से दबाया जा रहा है। ताजा मामला कॉमर्स फैकल्टी के बाहर छात्रों को रोकने का है। दूसरी ओर बीती शाम लॉ फैकेल्टी के भी छात्रों को धमका कर उनके नाम प्रोक्टोरियल बोर्ड ने दर्ज किए है और अनुशासनात्मक कार्रवाई की धमकी दी है।